Hot Ass Xxx की कहानी पढ़ें, वह विद्वान जिसने मेरे जिन्न को भगाया, मुझे दुल्हन बनाया और मेरी गांड का उद्घाटन किया। उसके मोटे लंड से मेरी गांड फट गयी.
सुनिए ये कहानी.
दोस्तो,
मेरी कहानी के पिछले भाग
मुझे आलिम साहब से प्यार हो गया में
मैंने पढ़ा कि आलिम ने मुझे दुल्हन की तरह सजाया था। बेडरूम को भी शादी के कमरे की तरह सजाया गया है। मुझे ख़ुशी है कि उसने मेरे लिए इतना कुछ किया। मुझे नहीं पता कि आज उनके मेरे लिए क्या इरादे हैं.
अब आगे की हॉट गांड Xxx कहानियों के लिए:
आलिम साहब मेरे स्तनों को दबाते रहे और मेरे निपल्स को चूसते रहे।
मुझे दर्द हुआ है और मैंने इसका आनंद भी लिया है.’
अब जलालुद्दीन साहब मेरी कमर से लेकर पैरों तक चाटने लगे.
उसने मेरे एक पैर की उंगली अपने मुँह में ले ली और उसे चूसने लगा। उसने एक-एक करके मेरे सभी पैरों की उंगलियों को चूसा और कुत्ते की तरह मेरे पैरों के तलवों को चाटते हुए ऊपर बढ़ने लगा।
जैसे ही उसने मेरी जाँघों को चाटा, वो रुक गया और मेरी चूत तक पहुँच गया। मेरा सेक्सी काला अधोवस्त्र भीग गया था।
जलालुद्दीन साहब मेरे अंडरवियर को चाटने लगे.
कुछ देर तक मेरी पैंटी चाटने के बाद उसने मेरी पैंटी को दोनों हाथों से खींच कर मेरे शरीर से अलग कर दिया.
मेरी चूत भी गीली हो गयी थी और रस टपक रहा था.
जब जलालुद्दीन साहब ने मेरी चमकदार बिना बालों वाली चूत देखी तो उनको नशा सा हो गया और वो पागलों की तरह मेरी चूत को चाटने लगे.
जैसे ही उसने मेरी चूत को अच्छी तरह से चाटकर साफ़ कर दिया, उसने मुझे अपनी पैंटी उतारने का इशारा किया।
यह देख कर मैंने उसका अंडरवियर भी उतार दिया और उसे नंगी कर दिया.
आज उसका लिंग साँप नहीं, बल्कि पूरा बोआ कंस्ट्रक्टर बन गया था।
मैं अचंभित रह गया और पूछा: महाराज, क्या हुआ?
जलालुद्दीन ने हँसकर कहा-आज तुम्हें थोड़ा दर्द देने के लिए ही तो मैंने दो गोलियाँ खा लीं न?
मैं शरमा गया और नीचे देखने लगा.
लेकिन नीचे मेरे दिल के मालिक का बहुत बड़ा फनफनाता हुआ लंड था. उसके लिंग का अग्र भाग बहुत गीला हो गया।
मैंने उसके लिंग को अपने हाथ में लिया, चमड़ी को पीछे खींच कर लिंगमुंड को बाहर निकाला और उसके लिंग से रस की बूंदें टपकने लगीं।
मैं घुटनों के बल बैठ गई और उसके लंड से टपक रहे रस को पीने लगी.
जलालुद्दीन साहब कराहते हुए मेरा सिर दबाने लगे और अपना लिंग मेरी फुद्दी में घुसाने की कोशिश करने लगे।
मेरे लंड को चूसने से उसका आकार और भी बड़ा हो गया.
थोड़ी देर बाद जलालुद्दीन साहब बिस्तर पर लेट गए और मुझे अपने ऊपर लेटने को कहा.
जैसे ही मैं उसकी छाती पर बैठा, उसने कहा- मुझे छाती पर नहीं, लिंग पर बैठना है.
तो मैं उसके लंड के पास आकर बैठ गयी.
उसने मुझे दोनों हाथों से उठाया और अपने खड़े लंड पर बैठा लिया.
जलालुद्दीन साहब ने मुझे पच्चीस बार चोदा है लेकिन आज उनका लंड बड़ा, मोटा और सख्त लग रहा था।
जैसे ही उसका लंड मेरी चूत में घुसा, मुझे ऐसा लगा जैसे कोई गर्म लोहे की रॉड घुस गयी हो.
ख़ैर, मैंने इसका आनंद लिया।
अब मैं उसके लंड पर बैठ गयी और उछलने लगी. जब मैं खड़ी होती तो उसका लंड तेजी से बाहर आ जाता, फिर जब मैं बैठती तो उसका लंड फिर से मुझसे टकरा जाता।
मेरा लिंग आज सामान्य से अधिक मोटा और लंबा दिख रहा है।
जब मैंने ऊपर जाकर लंड पर छलांग लगाई तो ऐसा लगा जैसे आज मेरी चूत नहीं बल्कि मेरी कोख की चुदाई हो रही हो.
जब मैं उछलती थी तो मेरे स्तन भी उछल जाते थे और मैं एक बार पूरी तरह से खड़ी होकर लंड पर धड़ाम से बैठती थी तो जलालुद्दीन साहब को भी मजा आता था।
मैं काफी देर तक जलालुद्दीन साहब के लंड पर कूदती रही और फिर जलालुद्दीन साहब ने मुझे पोजीशन बदलने के लिए कहा.
मैं बेड के कोने पर घोड़ी बन गई और जलालुद्दीन साहब मेरे पीछे आ गए और उन्होंने पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया.
उसने अपना लिंग इतनी जोर से घुसाया कि मेरी सांसें अटक गईं।
अब जलालुद्दीन साहब अपना पूरा लंड बाहर निकालते और एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा मूसल मेरी चूत में पेल देते.
उसके हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर हिल जाता था और मेरे स्तन हिल जाते थे जैसे कि वे बाहर गिरने वाले हों।
जलालुद्दीन साहब ने मुझे पीछे से काफी देर तक चोदा और मुझे हल्का सा दर्द हुआ लेकिन पहली चुदाई के दर्द के आगे ये कुछ भी नहीं था.
अब जलालुद्दीन साहब ने फिर से अपना लंड बाहर निकाला लेकिन वापस नहीं डाला.
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो जलालुद्दीन साहब पास में पड़ी एक तेल की बोतल उठा रहे थे।
उसका लंड पहले से ही मेरी चूत के रस से चिकना हो चुका था, लेकिन फिर भी उसने उस पर बहुत सारा तेल डाला हुआ था।
फिर उसने मेरी गांड पर तेल से मालिश करना शुरू कर दिया और एक उंगली मेरी गांड में डाल दी और तेल डालने लगा.
कुछ देर तक एक उंगली से गांड की दीवारों को चिकना करने के बाद उसने दो उंगलियां मेरी गांड में डाल दीं और धीरे-धीरे जगह बनाते हुए दोनों उंगलियां मेरी गांड में पूरी अंदर डाल दीं.
अब जलालुद्दीन बोला- मैं बिना आवाज़ किये तुम्हारी गांड में अपना लंड डालूँगा.
मैंने अब तक सिर्फ मुँह और चूत की ही चुदाई की थी, इसलिए गांड में लंड के ख्याल से ही मेरी गांड फट गई।
मैंने सोचा कि उस दिन तो मैंने बस पाद डाला था, और शायद आज मैं मल त्याग भी नहीं कर पाऊंगा।
आख़िरकार मैंने ख़ुद पर काबू पा लिया.
अब जलालुद्दीन साहब ने अपना लंड मेरी गांड पर रखा और रगड़ने लगे.
थोड़ी देर रगड़ने के बाद उसने धीरे-धीरे दबाव डाला और अपने लिंग को मेरी गुदा में दबाने लगा।
लेकिन वह विकराल लंड अभी छोटे से गांड के छेद के लिए तैयार नहीं है।
अब जलालुद्दीन ने पीछे से एक हाथ से मेरा मुँह बंद कर दिया और दूसरा हाथ मेरी कमर पर रख दिया.
फिर उसने जोर से धक्का मारा और उसका आधा लंड मेरी गांड में चला गया.
मुझे इतना भयानक दर्द महसूस हुआ जितना मैंने अपने पहले संभोग के दौरान कभी नहीं किया था। मैं जोर से चिल्लाई लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी क्योंकि मिस्टर जलालुद्दीन ने मेरा मुंह बंद कर दिया था.
अब जलालुद्दीन ने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गांड पर फिराना शुरू कर दिया.
मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन मैं चिल्ला भी नहीं पा रही थी.
कुछ देर बाद जलालुद्दीन साहब ने एक और जोरदार धक्का मारा और उनका पूरा लंड मेरी योनि में घुस गया.
मैं फूट-फूट कर रोने लगी, मैं दर्द से चिल्लाना चाहती थी और उसके लंड को अपनी गांड से बाहर निकालने की कोशिश करना चाहती थी, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकती थी।
अब जलालुद्दीन मेरी गांड को बहुत बेरहमी से चोदने लगा.
वो मेरे शरीर के हर हिस्से को पूरी ताकत से धकेलता और हिलाता.
मैंने अपने पैरों की ओर देखा और दंग रह गया।
आलिम साहब ने मेरी गांड को पूरी तरह से फाड़ दिया था और मेरी गांड से खून बहकर बिस्तर पर जमा हो रहा था.
जलालुद्दीन साहब ने पीछे से मेरे बाल पकड़ लिए और बोले- यही दर्द है जो तुझे चाहिए रंडी, आज मैं तेरी गांड का मस्त मज़ा लूँगा जिससे तू अगले पाँच महीने तक खुश रहेगी, मैं शेव करना भूल गया।
मैं दर्द से मरने के कगार पर था, लेकिन जलालुद्दीन साहब नहीं रुके।
जलालुद्दीन साहब ने मुझे पीछे से बहुत देर तक धक्का दिया और गोली लगने के कारण उनका सामान अभी भी पहले जैसा ही कसा हुआ था।
मैंने कहा- आज तो तुम्हारा लंड मूसल जैसा लग रहा है.
जलालुद्दीन साहब ने धक्का देकर कहा-यह अंग्रेजी दवा का कमाल है, इसी से तो आज तेरी गाण्ड फट गयी है।
करीब दस मिनट तक जलालुद्दीन साहब ने मेरी गांड चोदी तो मुझे दर्द कम होने लगा.
मेरी गांड अब खुल चुकी थी और उसका लंड आसानी से अन्दर-बाहर हो रहा था।
मेरी बुरी तरह से फटी हुई गांड में अभी भी दर्द हो रहा था, लेकिन मेरी गांड में लंड के अंदर-बाहर होने के अहसास से दर्द काफी हद तक कम हो गया।
अब मैं जलालुद्दीन साहब के समर्थन में अपनी गांड हिलाते हुए दर्द का मजा ले रही थी.
मैं कहती हूं- मेरे राजा, जोर से चोदो अपनी मालकिन को.
जलालुद्दीन साहब बोले: हाँ जान, आज की चुदाई तुम जिन्दगी में कभी नहीं भूलोगी।
बोलते-बोलते उसकी गति थोड़ी बढ़ गई।
जलालुद्दीन साहब अपना गदा लंड मेरी गांड में पेलते हुए थक गये थे और खूब पसीना बहा रहे थे.
उसके चेहरे का गर्म पसीना मेरी पीठ पर टपक रहा है, मैं सचमुच इस कठोर पसीने को चाटना चाहता हूँ।
काफी देर तक मेरी गांड चोदने के बाद मेरी गांड में जलन होने लगी तो मैंने जलालुद्दीन साहब से कहा कि वो अपना लंड मेरी गांड से निकाल लें और चाहें तो मेरे मुँह में या मेरी चूत में डाल दें।
मैंने कहा- सरताज, आज तुम्हारा लंड पानी क्यों नहीं छोड़ रहा? एक घंटा हो गया है जब से हमने दोबारा सेक्स करना शुरू किया है।
जलालुद्दीन साहब ने कहाः प्रिये, आज तुमने भी पानी नहीं बचाया।
मैंने कहा- यह सब तुम्हारी ही करतूत है, तुमने एक मासूम लड़की को चोदा और उसे रंडी बना दिया। जब तक तुम अपना पानी नहीं छोड़ोगी, मैं अपना पानी नहीं निकलने दूंगा.
जलालुद्दीन साहब ने कहा- अभी तो पार्टी शुरू हुई है और अभी पानी थोड़ा ही बहेगा।
मैं कहता हूँ – प्रिये, जब तुम्हें सहना हो तो वीर्य निकालो, लेकिन अपनी गांड में मत गिराओ। तुम्हारा पानी पिए बिना मेरी चूत अपनी प्यास नहीं बुझा सकती.
जलालुद्दीन साहब बोले- हां रंडी, पहले मुझे तेरी गांड अच्छे से चोदने दे, फिर तेरी चूत चोदूंगा.
अब जलालुद्दीन साहब भी पीछे से मेरी गांड चोदते-चोदते थक गये तो उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल लिया.
मेरे घुटने घोड़ी की तरह चोटिल हो गए थे और मैं बिस्तर पर सीधी लेट गई।
सचमुच जलालुद्दीन ने आज मेरे पसीने छुड़ा दिये।
सम्भोग काफ़ी देर तक चला लेकिन जलालुद्दीन और मैं दोनों में से कोई भी स्खलित नहीं हुआ।
अब जब मैं बिस्तर पर लेटी थी तो जलालुद्दीन साहब मेरे ऊपर चढ़ गए और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और फिर से धक्के लगाने लगे.
लेकिन जो लड़की किसी सड़कछाप रंडी की तरह बहुत देर तक गांड मरवाती हो, अगर उसकी चूत में लंड डाला जाए तो मैं तब भी चुपचाप लेटी रहती हूँ और जलालुद्दीन साहब अपना लंड मेरी चूत में पेलते रहते हैं, इससे क्या फर्क पड़ेगा?
उसने करीब आधे घंटे तक मेरी चूत को चोदा और फिर मेरे झड़ने का समय हो गया.
अचानक मेरे अंदर एक बड़ी लहर उठी और मेरा शरीर अकड़ने लगा।
मैंने अपने नाखून जलालुद्दीन साहब की पीठ में गड़ा दिए और कहा- मैं झड़ने वाली हूँ। जोर से और तेजी से धक्का लगाओ.
यह सुनकर जलालुद्दीन साहब तेजी से धक्के लगाने लगे और मेरा पूरा शरीर कांपने लगा.
तभी मुझे हजार वोल्ट का झटका लगा और मेरा शरीर कांपने लगा.
ऐसे ही मेरी चूत से पानी छलक गया.
मेरी चूत और गांड मेरे चूत के रस से भीग गयी थी.
जलालुद्दीन साहब ने मुझे चोदना बंद कर दिया और मेरी चूत के पास आकर मेरी चूत का रस पीने लगे.
उसने मेरा रस चाट कर पी लिया जो मेरी चूत और जाँघों तक फैल गया।
अब आज़ाद होने की बारी जलालुद्दीन की है।
उन्होंने मुझसे अपने सामने घुटने टेकने को कहा.
जैसे ही मैं उसके सामने बैठी, उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और मेरे मुँह को चोदने लगा।
वह मेरे मुँह को तब तक चोदता रहा जब तक कि मेरा जबड़ा कांपने नहीं लगा और मेरी आँखों से आँसू नहीं गिरने लगे।
थक कर मैंने उसे रुकने को कहा और उसका लंड हाथ में ले लिया और खुद चूसने लगी.
थोड़ी देर तक उसका लंड चूसते-चूसते अचानक मुझे अपने मुँह में उसका लंड बड़ा होता हुआ महसूस होने लगा।
जलालुद्दीन बोला- मेरी जान निकल रही है, तुम इसे अपनी चूत में लोगी या मुँह में?
मैंने कहा- अब तो बस इसे मुँह में लेना चाहता हूँ. अपनी मालकिन का मुँह अपने तरल पदार्थों से भर दो।
जलालुद्दीन ने कहा: हाँ प्रिये, आज मैं बहुत सारा पानी निकालूँगा जिससे तुम्हारे पेट में जगह कम रह जायेगी।
अब जलालुद्दीन ने मेरे बाल पकड़ लिए और फिर से तेजी से मेरे मुँह को चोदने लगा.
अचानक, उसके पैर कांपने लगे, उसका शरीर अकड़ने लगा और उसका लिंग गर्म हो गया।
जलालुद्दीन के लंड ने मेरे मुँह में तेजी से सात आठ धक्के मारे और अपनी पिचकारी छोड़ दी.
पहली एक दो पिचकारियाँ निकलते ही मेरा मुँह इतना भर गया कि वीर्य बाहर आने लगा।
अपने राजा के कीमती वीर्य को बर्बाद होने से बचाने के लिए मैंने तुरंत सारा वीर्य निगल लिया।
लेकिन इससे पहले कि मैं सारा वीर्य अपने मुँह में ख़त्म कर पाता, जलालुद्दीन के लिंग ने पाँच या छह पिचकारियाँ और छोड़ दीं।
इस बार इतना वीर्य निकला कि ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से ढेर सारा वीर्य निकलने लगा.
मैंने डरते हुए पास ही पड़ा एक कप उठाया और सारा वीर्य उसमें डाल दिया.
लेकिन इसी चक्कर में मेरे मुँह से जलालुद्दीन साहब का लौड़ा निकल गया।
इसके बाद जलालुद्दीन साहब के लंड ने फिर से दो-तीन पिचकारियाँ छोड़ीं, लेकिन चूँकि वो मेरे मुँह के बाहर थीं, इसलिए वो पिचकारियाँ सीधे मेरे मुँह पर गिरीं और मेरे बाल, आँखें, गाल, नाक सब वीर्य से नहा गये।
बहते हुए कुछ वीर्य मेरे स्तनों पर भी गिर गया.
मैंने तुरंत जलालुद्दीन साहब का लण्ड अपने मुंह में डाल लिया ताकि बचा खुचा वीर्य बर्बाद ना हो और मैं तब तक लण्ड को जोर जोर से चूसती रही जब तक कि लण्ड पूरा खाली नहीं हो गया.
अब जलालुद्दीन साहब ने अपना लण्ड मेरे मुंह से बाहर निकाल लिया और थक कर बिस्तर पर लेट गए.
मैंने अपने चेहरे और बदन पर फैले उनके वीर्य को प्याली में इकट्ठा किया और सारा का सारा वीर्य गटगट करके पी लिया.
सच में मर्दों का वीर्य बहुत जायकेदार होता है. जो औरतें इसको पीने में नखरे करती हैं वो नालायक होती हैं.
जब हवस का तूफ़ान थमा तो मैंने देखा कि मेरी गांड मार मार कर जलालुद्दीन साहब ने उसका रंगरूप ही उजाड़ दिया था.
मेरी गांड बुरी तरह फटी हुई थी और उसमें से ढेर सारा खून निकल कर बिस्तर पर फैला हुआ था.
जब मैं हवस की आग में जल रही थी तो फटी गांड का दर्द महसूस नहीं हो रहा था लेकिन अब तो दर्द के मारे मुझसे उठा ही नहीं जा रहा था.
दर्द के मारे मैं जलालुद्दीन साहब से लिपट गई.
जलालुद्दीन साहब बोले- क्या पहली बार जैसा दर्द हो रहा है?
मैंने कहा- हाँ, हॉट गांड Xxx की वैसी ही दर्दनाक चुदाई कर डाली है आपने. पहली बार का दर्द याद दिला दिया.
अब जलालुद्दीन साहब हँसते हुए बोले- इसका मतलब मैं शर्त जीत गया, तुमने कहा था कि पहली बार वाला दर्द दिया तो एक महीने तक मुझे याद नहीं करोगी.
मेरी आँखों से आंसू निकल आये.
मैं खुद भी नहीं बता सकती थी कि ये आंसू आज की भयानक गांड चुदाई के कारण निकले हैं या अपनी मुहब्बत से दूर जाने के गम में निकले हैं.
अपनी गांड के दर्द को नजरअंदाज करती हुई मैं उठी और रोती हुई कमरे के एक कोने में जाकर बैठ गई.
सारी रात मैं रोते रोते अपने आंसू अपने ही हाथों से पौंछती रही और सामने मेरे खून से भीगे बिस्तर पर जलालुद्दीन आराम से नंगे ही सोते रहे.
रोते रोते मेरी कब आँख लग गई पता ही नहीं चला.
सुबह एक हिजड़े ने आकर मुझे उठाया तो मैंने देखा कि जलालुद्दीन कमरे में नहीं हैं.
एक बार फिर मेरी आँखों से आंसू बह निकले.
हिजड़े ने मेरी हालत देखी तो उसको भी दया आ गई.
उसने मेरे आंसू पौंछे, मुझे उठाकर बिस्तर पर बैठाया और मेरी सफाई करने लगी.
मेरे बदन पर अभी भी मेरी मुहब्बत की निशानी फैली हुई थी.
हिजड़े ने गर्म पानी से मेरा बदन साफ़ किया, मेरी जांघों पर जम गया खून साफ़ किया और मेरी फटी हुई गांड पर दवाई लगाई.
उसने मेरा बिस्तर साफ़ करके हमारे कल रात के मसले हुए फूल एक कोने में फैंक दिए फिर साफ़ सुथरे सलवार कमीज पहना कर मुझे लेटा दिया.
अगले तीन चार दिन में मेरे घाव काफी भर गए लेकिन फिर भी चलने में पैर दुखते थे और हगने पर तो मानो अंदर तक जलन होने लगती थी.
इन तीन चार दिनों में जलालुद्दीन साहब मेरे पास एक बार भी नहीं आये.
मैंने भी इसको अपनी किस्मत मानकर मंजूर कर लिया और हमारे सुहागरात वाले कुछ फूल अपने प्यार की निशानी के तौर पर अपने पास छुपा कर रख लिए.
फिर एक महीना पूरा हुआ तो मेरे अम्मी अब्बू मुझे लेने आये.
उस दिन मानो हजार सालों के बाद मुझे अपनी मुहब्बत जलालुद्दीन की सूरत देखने को मिली.
उनके और मेरे अब्बू के बीच कुछ बातें हुईं, मैंने देखा कि मेरी अम्मी ने जलालुद्दीन के पैर पकड़ लिए और मेरे अब्बू ने उनका हाथ चूम लिया.
मुझे लगा कि जलालुद्दीन आखरी बार अपनी नगमा जान से मिलने आएँगे लेकिन वो तो बहुत बेरुखी से वहीं से वापस लौट गए.
मेरा दिल रोने को हुआ लेकिन अपने अम्मी अब्बू के सामने मैंने खुद को संभाले रखा.
फिर मेरे अम्मी अब्बू मेरे कमरे में आये तो में अपनी अम्मी से लिपट कर रोने लगी.
मेरे वालिद सोच रहे थे कि मैं उनसे इतने दिन बाद मिली हूँ इसलिए रो रही हूँ लेकिन मेरा दिल ही जानता था कि मैं अपने सरताज, अपनी मुहब्बत अपने प्यार जलालुद्दीन के लिए रो रही थी.
यह मेरी जिंदगी का वो एक महीना था जिसने मुझे पूरी तरह से बदल कर रख दिया.
और ये मेरी कहानी नगमा का इलाज का आख़री हिस्सा था जिसमें मेरे नीम्बू बड़े होकर आम हो गए थे, मेरा इलाज पूरा हो गया था और मैं दिल पर पत्थर रख कर अपने महबूब से जुदा हो गई थी.
अपनी अगली कहानी में मैं आपको बताऊंगी कि मेरे आम तरबूज में कैसे बदल गए और मैंने अपनी चुदास की बीमारी का इलाज किन किन तरीकों से जारी रखा.
तब तक के लिए अपनी प्यारी नगमा को इजाजत दीजिये.
आप मुझे बताएं कि आपको मजा आया मेरी हॉट गांड Xxx कहानी पढ़ कर?
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