देसी चूत हिंदी कहानी में मैंने अपने साले की जवान बीवी को ससुराल में चोदा. उसकी निगाहों से लगता था कि वह खुद से चुदना चाह रही थी. शायद मेरा साला उसकी संतुष्टि नहीं कर पाता था.
सभी लंडधारी लौंडों और प्यारी प्यारी चूतों को सूरज के खड़े लन्ड का प्रणाम।
आज मैं अपनी आपबीती में मेरे साले की बीवी रेखा की चुदाई की देसी चूत हिंदी कहानी आप सबको बताने जा रहा हूँ.
मुझे पूरा भरोसा है कि इसको पढ़ने के बाद सभी लंडधारी जरूर मुठ मारने और चूतधारिणी अपनी चूत में उंगलियां करने के लिए मजबूर हो जायेंगी।
दोस्तो, मेरा साला मुझसे 3 साल छोटा है. उसकी बीवी रेखा मुझे उसकी शादी के वक़्त से ही बहुत पसंद है.
मैं शुरू से रेखा की चूत मारने की तमन्ना रखता था।
लेकिन रिश्ते की वजह से डरता था कि कहीं कुछ उल्टा सीधा हो गया तो बहुत बड़ा बवाल हो जाएगा।
पर जब मैंने देखा कि रेखा भी बार बार मुझे लाइन देती है और अपने पल्लू को गिराकर बार बार अपने बोबों को दिखाते हुए बड़े लटके झटके से मुझे पटाने के प्रयास करती रहती है तो मैंने उससे अच्छे से बातचीत करना शुरू कर दी.
तभी पता लगा मेरा साला बस पैसे कमाने में लगा रहता है, सुबह 5 बजे से लेकर देर रात तक बस पैसा पैसा!.
जबकि घर में जवान बीवी को पैसे के साथ कड़क मोटा लन्ड भी चाहिए होता है.
अब वह नहीं देगा तो वो किसी और से तो लेगी ही!
बस ये सब बातें साफ होते ही मैं अपने लन्ड को यही कहता कि बस अब मंज़िल दूर नहीं।
एक दिन मैं अपने ससुराल के शहर में किसी काम से गया तो ससुराल के घर भी चला गया कि इसी बहाने मेरी जान रेखा को देख आऊंगा तो रात को मुठ मारने का जुगाड़ हो जाएगा।
ससुराल जाने पर पता लगा कि मेरा साला दुकान के काम से बाहर गया है, 2 दिन बाद वापस आएगा.
और मेरे सास ससुर सासुजी के मायके में किसी की मौत हो जाने की वजह से गए हुए हैं.
वे देर रात को वापस आने वाले थे.
मतलब रेखा और मैं बस और कोई नहीं, चुदाई के लिए सब माहौल बना हुआ ही था।
रेखा मेरे लिए चाय लेकर आयी और मुझे चाय देकर वहीं खड़ी होकर बातें करने लग गयी.
मैंने उससे कहा- आप भी लो चाय!
तो वह आनाकानी करने लगी- मैंने अभी पी है, बस आपके लिए ही बनाई है।
मैंने ज़िद करते हए कहा- मैं कोई काम अकेले नहीं करता. आप नहीं पीओगी तो मैं भी नहीं पिऊँगा.
तो उसने कहा- ठीक है, आधा आधा पी लेते हैं।
मैंने उसको कहा- पहले आप पीयो. लेडिज़ फर्स्ट!
तो उसने बड़ी अदा से हंसते हुए एक सिप ली.
फिर मैंने भी उसी कप से एक सिप ली.
और इस तरह दोनों ने एक दूसरे की झूठी चाय पी।
मुझे लगा आज मौका अच्छा है, चौका मार ही देना चाहिए.
मैं एक झूठी प्रमोशन की कहानी सुनाकर उसका मुंह मीठा कराने की बात कह कर बाहर मिठाई लेने चला गया और मिठाई लेकर उसमें कामोत्तेजक दवाई मिला दी।
फिर ससुराल में आकर उसी कामोत्तेजक मिली हुई मिठाई को रेखा को खिलाया.
दवाई असर करने में थोड़ा देर लगाएगी, यह सोच कर मैं रेखा से बात करने लग गया.
रेखा भी मुझसे बात करते करते ऐसे देख रही थी जैसे बिल्ली दूध की भरी हुई हांडी को देखती है।
लेकिन उसने ऐसी कोई बात नहीं जिससे मुझे आगे बढ़ने का हौसला मिले.
अंत में थक हार कर मैंने कहा- ठीक है, अब मैं चलता हूँ.
तो वह कुछ कहते कहते रुक गई और मन मसोस कर बोली- ठीक है, अगली बार दीदी को भी लेकर आना।
मैंने कहा- ठीक है!
और वापस आने के लिए निकला ही था कि बारिश शुरू हो गई, मेरे कपड़े थोड़े से गीले हो गए.
मुझे उम्मीद की नई किरण दिखाई दी.
मैं वापस लौटा और मुझे देख कर रेखा के चेहरे की रौनक लौट आई।
उसने मुझे कहा- आप कपड़े बदल लो, नहीं तो तबियत खराब हो जाएगी.
मैं बाथरूम में गया और कपड़े खोल कर एक तौलिया लपेट कर बाहर आ गया.
रेखा मेरे चौड़े रोमदार सीने को देख कर होंठों पर जीभ फेरती हुई मदहोशी भरी नजरों से देखने लगी.
तभी मुझे छींक आ गई तो रेखा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बोली- चलो, मैं बाम लगा दूँ. नहीं तो बीमार हो जाओगे!
रेखा ने मुझे उसके बिस्तर पर लिटाया और बाम लेकर आई.
वह मेरा सिर अपनी गोद में रख कर बाम लगाने लगी.
उसकी गोद में सर होने से उसके बोबे मेरे सर को छू रहे थे.
साथ ही रेखा के बदन से आ रही मदहोश कर देने वाली खुशबू मेरे तन बदन में सनसनी पैदा कर रही थी.
धीरे धीरे तौलिया के अंदर मेरा लन्ड कड़क होने लग गया, तौलिया भी थोड़ा ऊंचा ऊंचा से दिखने लगे गया.
रेखा की नजर उस पर पड़ी तो वह शर्माती हुई मुस्कुराई, थोड़ा रुक कर बोली- अब कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- अब तो सनसनी उठ रही है दिलो दिमाग में!
रेखा ने पूछा- क्यों?
मैं बोला- बाहर बरसात हो रही है और अंदर मैं बिना कपड़ों के एक दहकते हुए हुस्न की मल्लिका की गोद में सर रख कर लेटा हूँ तो सनसनी तो उठनी ही है.
यह कहकर मैंने रेखा का हाथ पकड़ कर चूम लिया और सर को थोड़ा सा उठाते हुए रेखा के गालों पर किस कर दिया.
रेखा की गर्म गर्म सांसें निकलने लगी, उसकी आँखों में अलग ही खुमारी दिख रही थी।
अब मुझे लग रहा था कि रेखा भी कामोत्तेजना में डूब रही है, कामोत्तेजक दवाई उस पर सब असर दिखा रही है।
रेखा ने अपने सर को थोड़ा सा झुकाया और मेरे होठों को अपने होठों की कैद में ले लिया।
अब हम दोनों होंठों की घमासान लड़ाई में कूद पड़े थे, कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहा था.
रेखा अपनी जीभ मेरे होठों में डाल कर चुसवाने लगी और हाथों को मेरे सीने और नीचे तक फिराने लगी।
मेरा लन्ड पूरी तरह कड़क हो चुका था और लन्ड के ऊपरी हिस्से में हल्का गीलापन भी आ चुका था।
अचानक रेखा का हाथ थोड़ा ज्यादा नीचे तक पहुंच गया और मेरे बदन से तौलिया अलग हो गया.
तौलिया रूपी दीवार हटते ही मेरा लन्ड अपने पूरे विराट स्वरूप में बाहर उछल कूद मचाने लग गया।
मैंने हल्के से उठ कर रेखा को भी अपने साथ लिटा लिया और अपने होठों की कारीगरी दिखाते हुए रेखा के बोबों को सहलाने लगा।
हम दोनों की आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे.
तभी मेरे मन में ख्याल आया कि पहली बार को थोड़ा अलग बनाया जाए.
मैंने उठ कर तौलिया लपेटा और रेखा को अपनी गोद में उठाकर बरसती बारिश में छत पर ले गया.
छत पर लेजाकर रेखा को लिटा दिया और खुद उसको बाहों में भर कर उसके पास लेट गया।
ऊपर से घटाएं बरस रही थी और नीचे की घटाएं बरसने को तैयार हो रही थी।
रेखा से अब सहन करना मुश्किल हो रहा था, वह मुझे बार बार ‘जान आओ न … मेरी प्यास बुझा दो प्लीज! आज बादल बन कर छा जाओ और मेरी प्यासी धरती की प्यास बुझा दो प्लीज!’ ऐसे बोल रही थी.
देसी चूत हिंदी में चुदाई के लिए गिड़गिड़ा रही थी.
मैं भी बोल रहा था- हां जान, आज तुम्हारी और मेरी दोनों की प्यास पूरी बुझाऊँगा!
चुम्माचाटी करते करते मैंने एक हाथ से रेखा की साड़ी अलग कर दी और रेखा के पहाड़ की चोटियों जैसे तने हुए स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से ही चूमने लग गया.
एक हाथ से दूसरे स्तन को भींच रहा था तो दूसरे हाथ को रेखा के पेटीकोट के ऊपर से रेखा की चूत और जांघों पर फेर रहा था।
जैसे ही मेरा हाथ रेखा की चूत के ऊपर जाता, रेखा उत्तेजनावश अपनी टांगें रगड़ने लग जाती.
रेखा को सहलाते सहलाते मैंने रेखा का ब्लाउज उतार दिया और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.
बाकी काम रेखा ने आसान कर दिया और खुद ही पैर चलाकर पेटीकोट को नीचे खिसका कर अलग कर दिया.
अब मेरी जान रेखा सिर्फ पेंटी और ब्रा में थी और अजंता एलोरा की किसी जीवित मूर्ति के समान मेरे सामने बरसती बूंदों के बीच लेती थी।
मैंने उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही मुंह में भर लिया और अपने हाथों से रेखा के पूरे बदन को रगड़ने लग गया.
रेखा के होठों से गर्म गर्म सांसें निकल रही थी और कांपते हुए लहजे में कह रही थी- बस अब और मत तड़पाओ, मुझमें समा जाओ, अपना बना लो जान!
मैंने एक हाथ रेखा की कमर के पीछे डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.
रेखा के उन्नत बोबे आज़ाद हो गए और मैंने लपक कर उसके बोबे की निप्पल को अपने होठों की कैद में ले लिया.
रेखा के होठों से सिसकारी निकल गई.,
और मैं जैसे कोई दूध पीता हुआ बच्चा बन गया.
ऐसा बेसब्र बच्चा जो एक ही बार में सारा दूध पी लेना चाहता हो!
उसके निप्पल को कभी चूसता हुआ कभी हल्के से काटता हुआ, मैं अपना हाथ रेखा की पेंटी के अंदर डाल कर रेखा की चूत को रगड़ने लग गया.
रेखा तो जैसे पागल ही हो गई, उसकी आंखें ऐसी दिख रही थी जैसे कई पैग शराब पी रखी हो।
उसकी चूत की चिकनाई इस बात का सबूत थी कि रेखा पूरे जोश के साथ आनन्द ले रही है।
रेखा जोर जोर से मेरी पीठ को सहला रही थी और मुझे जगह जगह से काट काट कर लव बाईट के निशान छोड़ रही थी।
फिर अचानक मैंने रेखा की चूत में उंगली डाल दी.
रेखा भाभी तो जैसे मारे उत्तेजना के चीख ही पड़ी.
मैंने तुरन्त उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया।
5 मिनट तक अच्छे से चूसने के बाद मैं रेखा को चूमने लग गया, उसके स्तनों और नाभि को चूमते हुए जब मैं थोड़ा और नीचे खिसका और उसकी पेंटी के ऊपर से ही रेखा की चूत को चूमा तो रेखा पैर पटकने लग गई.
मैंने धीरे से 2 उंगलियां रेखा की पेंटी में डाली तो रेखा ने हल्की सी कमर ऊपर उठाई और पेंटी को निकल जाने दिया.
मेरी नजर रेखा की चूत पर पड़ी!
वाह … क्या शानदार चूत थी … छोटी सी चूत जिसके 2 छोटे छोटे से होंठ बने हुए थे.
एकदम रोम रहित और हल्का सा भूरापन लिए हुए एक शानदार चूत थी.
उसको देखते ही मेरा मन रेखा की देसी चूत को चाटने के लिए लालायित हो उठा और मैंने तुरन्त ही रेखा के पैर फैलाते हुए उसकी चूत पर अपने होंठ रख कर सबसे पहले रेखा की भगनासा को चूमा उसके बाद चूत के होठों को अपने होठों में भर के उनके साथ खेलने लग गया।
रेखा की चूत से गर्म गर्म पानी बह के निकल रहा था और मैं अपनी जीभ से चाट चाट कर उस सारे पानी को पीता जा रहा था।
अब रेखा की टाँगें और अधिक चौड़ी होती जा रही थी.
उसकी सिसकारियां बेतहाशा बढ़ती जा रही थी और वो अपने निचले होंठ को ऊपर वाले होंठ से काटती जा रही थी.
अचानक रेखा ने झटका दिया और पलट कर मुझे नीचे करके मेरे मुंह पर अपनी चूत को रख कर बैठ गयी.
मैं अपनी जीभ चलाता रहा.
रेखा ऊपर से ही मेरी जीभ को चोदने लग गई
वह बोलती जा रही थी- ओह जान … बड़ा मजा आ रहा है. तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले!
साथ ही सिसकारियां भरती हुई गर्म गर्म सांसें छोड़ती जा रही थी.
ऊपर से गिरती बारिश की बूंदें रेखा और मुझे शीतल करने की जगह और अधिक गर्म करते हुए हमारे तन बदन में आग सी लगा रही थी.
मैंने फिर से रेखा को नीचे किया और उसकी टांगों को फैला कर फिर से अपने होंठ उसकी सुलगती हुई चूत पर रख दिये और अपने हाथ की 2 उंगलियां उसकी चूत में डाल कर उंगलियों से चूत को चोदने लग गया.
रेखा बार बार अपनी कमर को उचका उचका कर नीचे करने लग गई.
अचानक रेखा ने मुझसे कहा- जान, मैं आ रही हूं, मेरा निकलने वाला है!
मैंने कहा- आ जाओ जान!
और इतना सुनते ही रेखा कमान की भांति तन गई और उसकी चूत से भल्ल भल्ल करके सफेद काम रस बहने लगा.
मैंने एक भी बूंद व्यर्थ नहीं जाने दी और रेखा की चूत से बहता हुआ सारा रज पी लिया और जीभ से चाट चाट कर रेखा की चूत को साफ भी कर दिया.
रेखा आंखें बंद किये लेटी हुई थी, उसकी सांसों की रफ्तार भी अब सामान्य हो चुकी थी.
उसने मेरी आँखों में देखा और प्यार और शर्म से देखने लगी.
मैंने उठकर रेखा के होठों पर किस किया और रेखा को गोद में उठाकर वापस नीचे उसके बेडरूम में ले आया।
रेखा बोली- मुझे पेशाब लगी है!
मैंने कहा- इसको बेकार मत करो, मुझे पीना है इसको!
यह कहकर मैं नीचे लेट गया, रेखा ऊपर आकर मेरे मुंह के पास अपनी चूत लगा कर बैठ गई.
मैंने उसकी चूत को अपने होंठों में भर लिया और रेखा ने मूतना शुरू कर दिया, मैंने उसकी चूत के मूत की एक एक बूंद पी ली.
इस तरह से मैंने अपनी सेक्सी सलहज की चूत चाट चाट कर चोदी.
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